रिश्तों में वैसा ही संबंध होना चाहिए जैसे आंख और हाथ का होता है।
हाथ को चोट लगती है तो आंखें रोती हैं और,
आंसू आने पर हाथ ही उन्हें सहलाता है और साफ करता है।
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रिश्तों में वैसा ही संबंध होना चाहिए जैसे आंख और हाथ का होता है।
हाथ को चोट लगती है तो आंखें रोती हैं और,
आंसू आने पर हाथ ही उन्हें सहलाता है और साफ करता है।