मेरा ज़मीर बहुत है मुझे सजा के लिए,
तू दोस्त है तो नसीहत न कर खुदा के लिए।
– शाज़ तम्कनत
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मेरा ज़मीर बहुत है मुझे सजा के लिए,
तू दोस्त है तो नसीहत न कर खुदा के लिए।
– शाज़ तम्कनत
कौन रोता है किसी और की खातिर ऐ दोस्त,
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया।
– साहिर लुधयानवी
इज़हार-ए-इश्क़ उस से न करना था ‘शेफ्ता’,
ये क्या किया की दोस्त को दुश्मन बना दिया।
– शेफ्ता मुस्तफा खान
इसी शहर में कईं साल से मेरे कुछ क़रीबी दोस्त हैं,
उन्हें मेरी कोई खबर नहीं, मुझे उन का कोई पाता नहीं।
– बशीर बद्र
इस से पहले की बेवफा हो जाएँ,
क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ।
– अहमद फ़राज़
दिल अभी पूरी तरह टूटा नहीं,
थोड़ी दोस्तों की और मेहरबानी चाहिए।
– हामिद आदम
ऐ दोस्त हम ने तर्क़-ए-मोहब्बत के बावजूद,
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी-कभी।
– नासिर काज़मी
आ की तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं,
जैसे हर शै में किसी शै की कमी पाता हूँ मैं।
– जिगर मोरादाबादी
मुझे दुश्मन से अपने इश्क़ सा है,
मैं तन्हा आदमी की दोस्ती हूँ।
– बक़र मेहदी
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे,
ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिज़ा नहीं है।
– शकील बदायुनी
मोहब्बत में दिखावे की दोस्ती न मिला,
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला।
– बशीर बद्र
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे,
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जान-बा-लब मुझे ज़िन्दगी की दुआ न दे।
– सकील बदायुनी